ब्लॉग

घातक कालसर्प योग/दोष

ghatak
घातक कालसर्प योग

जब मनुष्य की जन्मकुंडली में केतु चतुर्थ तथा राहु दशम स्थान में हो तो घातक कालसर्प योग बनाते हैं। इस योग में उत्पन्न मनुष्य यदि माँ की सेवा करे तो उत्तम घर व सुख की प्राप्ति होता है। मनुष्य हमेशा जीवन पर्यन्त सुख के लिए प्रयत्नशील रहता है उसके पास कितना ही सुख आ जाये उसका मन नहीं भरता है। उसे पिता का भी विछोह झेलना पड़ता है। वैवाहिक जीवन भी सुखमय नहीं रहता है । व्यवसाय के क्षेत्र में उसे अप्रत्याशित समस्याओं का सामना करना पड़ता है। परन्तु व्यवसाय व धन की कोई कमी नहीं होती है। नौकरी पेशा वाले मनुष्यो को सस्पेंड, डिस्चार्ज या डिमोशन के खतरों से रूबरू होना पड़ता है। साझेदारी के काम में भी मनमुटाव व घाटा उसे क्लेश पहुंचाते रहते हैं। सरकारी पदाधिकारी भी उससे खुश नहीं रहते और मित्र भी धोखा देते रहते हैं। यदि यह मनुष्य रिश्वतखोरी व दो नम्बर के काम से बाहर आ जाएं तो जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा उसे जरूर मिलती है साथ ही राजनैतिक क्षेत्र में बहुत सफलता प्राप्त करता है। उक्त परेशानियों से बचने के लिए मनुष्य निम्नलिखित उपाय कर लाभ पा सकता हैं।

अनुकूल करने के उपाय :-

• सोमवार के दिन व्रत रखें, भगवान शिव के मंदिर में चांदी के नाग की पूजा कर अपने पितरों का स्मरण करें और उस नाग को बहते जल में श्रध्दापूर्वक विसर्जित कर दें।
• नित्य प्रति हनुमान चालीसा का पाठ करें व प्रत्येक मंगलवार का व्रत रखें।
• हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर घुलाकर चढ़ाएं तथा बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं।
• एक वर्ष तक गणपति अथर्वशीर्ष का नित्य पाठ करें।
• शनिवार का व्रत रखें, श्री शनिदेव का तैलाभिषेक व पूजन करें और लहसुनियां, सुवर्ण, लोहा, तिल, सप्तधान्य, तेल, काला वस्त्र, छिलके समेत सूखा नारियल, कंबल आदि का समय-समय पर दान करें

Please follow and like us:

Leave a Reply