गणपति विसर्जन 2019 : जानें शुभ मुहूर्त तिथि और समय एवं विधि || Ganpati Visarjan 2019
गणेश जी का आगमन गणेश चतुर्थी के दिन होता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी भक्तों से विदा होकर अपने लोक लौट जाते हैं। इस तरह हर साल गणेश उत्सव 10 दिनों का होता है लेकिन जो लोग 10 दिनों तक विधि विधान से गणेशजी की पूजा कर पाने में असमर्थ होते हैं वह बीच में भी गणपति विसर्जन कर लेते हैं। लोग अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार डेढ़ दिन, 4 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 11 दिन पर बप्पा का विसर्जन करते हैं। इस साल अनंत चतुर्दशी 12 सितंबर को है, इसी दिन गणपति का विसर्जन होगा। कई लोग गणेश चतुर्थी के अगले दिन भी गणेश विसर्जन करते है, जिसे डेढ़ दिन के गणपति का विसर्जन कहा जाता है. लेकिन अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन गणपति विजर्सन (Ganpati Visarjan) की परंपरा सबसे ज्यादा प्रचलित है. गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद यानी कि 11वें दिन अनंत चतुर्दशी आती है और इस दिन पूरे धूमधाम से गणपति विसर्जन किया जाता है |
विसर्जन के पीछे का रहस्य :
विसर्जन का अर्थ है मोह से मुक्ति, विसर्जन का नियम इसलिए है कि मनुष्य यह समझ ले कि संसार एक जीवन- मृत्यु चक्र के रूप में चलता है अर्थात् भूमि पर जो प्राणी आया है वह प्राणी अपने स्थान को फिर लौटकर जाएगा और फिर समय आने पर पृथ्वी पर पुनः लौट आएगा। अतः आपके अंदर जो मोह है उसे विसर्जित कर दीजिए। गणेश जी के साथ भी ऐसा ही है आप गणपती जी की मूर्ति को बहुत प्रेम से घर लाते हैं और उनकी छवि से मोहित होते हैं और एक प्रिय अतिथि की तरह उनका सम्मान एवं पूजन करते है| लेकिन उन्हें भी जीवन चक्र के अनुसार जाना होता है इसलिए मोह को विदा कर आप उनके पुनः लौटकर आने की कामना के साथ विसर्जन करते है | इसलिए तो कहते हैं |
गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ।
गणेश विसर्जन ( Ganesh Visarjan ) की तिथि और शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी : 12 सितंबर 2019
चतुर्दशी प्रारंभ: 12 सितंबर 2019 को सुबह 05 बजकर 06 मिनट से
चतुर्दशी समाप्त: 13 सितंबर को सुबह 07 बजकर 35 मिनट तक.
गणेश विसर्जन के लिए चौघड़िया मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त (शुभ): 12 सितंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 08 मिनट से सुबह 07 बजकर 40 मिनट तक |
सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 22 मिनट तक|
दोपहर का मुहूर्त (शुभ): शाम 04 बजकर 54 मिनट से शाम 06 बजकर 27 मिनट तक |
शाम का मुहूर्त (अमृत, चर): शाम 06 बजकर 27 मिनट से रात 09 बजकर 22 मिनट तक |
रात का मुहूर्त (लाभ): 13 सितंबर 2019 को रात 12 बजकर 18 मिनट से रात 01 बजकर 45 मिनट तक |
गणपति विसर्जन का तरीका / विधि :
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की स्थापना के बाद 10 दिनों तक उनकी खूब सेवा की जाती है| उन्हें विभिन्न प्रकार के व्यंजन, फल और फूल अर्पित किए जाते है और साथ ही 10 दिन तक लगातार हर दिन उनको मोदकों का भोग लगाया जाता है| 10 दिन के बाद 11वें दिन अनंत चर्तुदशी को बप्पा को गाजे-बाजे के साथ धूमधाम से विदा किया जाता है| यहां पर हम आपको गणेश विसर्जन की पूरी विधि बता रहे हैं:
- विदा करने से पहले गणेश जी को भोग लगाएं|
- आरती करने के बाद पवित्र मंत्रों से उनका स्वास्तिवाचन करें|
- लकड़ी का एक पटरा लें. उसे गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें|
- घर की महिला इस पटरे पर स्वास्तिक बनाए|
- अब इस पटरे पर अक्षत रखने के बाद पीला, गुलाबी या लाल रंग का वस्त्र बिछाएं|
- अब वस्त्र के ऊपर गुलाब की पंखुड़ियां बिखेरें|
- पटरे के हर कोने पर एक-एक सुपारी रखें|
- अब आपने जिस जगह पर गणपति की स्थापना की हैं वहां से उन्हें उठाकर इस पटरे पर रखें|
- गणेश जी को विराजमान करने के बाद पटरे पर फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा और पांच मोदक रखें|
- अब एक छोटी लकड़ी लेकर उसमें चावल, गेहूं और पंच मेवा की पोटली बनाकर बांधे एवं साथ ही सिक्के भी रखें|
- नदी या तालाब में गणपति का विसर्जन करने से पहले फिर से उनकी आरती करें|
- आरती के बाद गणपति से प्रार्थना करें और आपकी जो भी मनोकामना उसे पूर्ण करने का अनुरोध करें. साथ ही 10 दिन तक जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें|
- विजर्सन के समय ध्यान रहे कि गणेश प्रतिमा व अन्य चीजों को फेंके नहीं, बल्कि पूरे मान-सम्मान के साथ धीरे-धीरे एक-एक चीज विसर्जित करें|