तक्षक कालसर्प योग/दोष
जब मनुष्य की जन्मकुंडली में केतु लग्न में और राहु सप्तम स्थान में हो तो तक्षक नामक कालसर्प योग बनता है। कालसर्प योग की शास्त्रीय परिभाषा में इस प्रकार का अनुदित योग परिगणित नहीं है। लेकिन व्यवहार में इस प्रकार के योग का भी संबंधित मनुष्यो पर इसका अशुभ प्रभाव पड़ता देखा जा सकता है। तक्षक नामक कालसर्प योग से पीड़ित मनुष्यो को पैतृक संपत्ति का सुख नहीं मिलता। या तो उसे पैतृक संपत्ति मिलती ही नहीं और मिलती है तो वह उसे किसी अन्य को दान दे देता है अथवा बर्बाद कर देता है। ऐसे मनुष्य प्रेम प्रसंग में भी असफल होते देखे जाते हैं। गुप्त प्रसंगों में भी उन्हें धोखा खाना पड़ता है। वैवाहिक जीवन सामान्य रहते हुए भी कभी-कभी संबंध इतना अधिक तनावपूर्ण हो जाता है कि अलगाव की नौबत आ जाती है। मनुष्य को अपने घर के अन्य सदस्यों की भी यथेष्ट सहानुभूति नहीं मिल पाती। साझेदारी में उसे नुकसान ही होता है तथा समय-समय पर उसे शत्रू षड़यंत्रों का शिकार बनना पड़ता है। जुए, सट्टे व लाटरी की प्रवृत्ति उस पर हावी रहती है जिससे वह बर्बादी के कगार पर पहुंच जाता है। संतानहीनता अथवा संतान से मिलने वाली पीड़ा उसे निरंतर क्लेश देती रहती है। उसे गुप्तरोग की पीड़ा भी झेलनी पड़ती है। किसी को दिया हुआ धन भी उसे समय पर वापस नहीं मिलता। यदि यह मनुष्य अपने जीवन में एक बात करें कि अपना भलाई न सोच कर ओरों का भी हित सोचना शुरु कर दें साथ ही अपने मान-सम्मान के दूसरों को नीचा दिखाना छोड़ दें तो उपरोक्त समस्याएं नहीं आएँगी।
अनुकूल करने के उपाय :-
• शुभ मुहूर्त में बहते पानी में मसूर की दाल सात बार प्रवाहित करें और उसके बाद लगातार पांच मंगलवार को व्रत रखते हुए हनुमान जी की प्रतिमा में चमेली में घुला सिंदूर अर्पित करें और बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें। अंतिम मंगलवार को सवा पांव सिंदूर सवा हाथ लाल वस्त्र और सवा किलो बताशा तथा बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर प्रसाद बांटे।
• सवा महीने जौ के दाने पक्षियों को खिलाएं।
• कालसर्प दोष निवारण यंत्र घर में स्थापित करके, इसका नियमित पूजन करें।
• देवदारु, सरसों तथा लोहवान – इन तीनों को उबालकर एक बार स्नान करें।