महापद्म कालसर्प योग/दोष
जब मनुष्य की जन्मकुंडली में राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित
जब मनुष्य की जन्मकुंडली में राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित
जब मनुष्य की जन्मकुंडली में राहु पंचम व केतु एकादश भाव में तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म
जब मनुष्य की जन्मकुंडली में राहु तीसरे घर में और केतु नवम स्थान में और इस बीच सारे ग्रह ग्रसित
जब मनुष्य की जन्मकुंडली में राहु चौथे स्थान में और केतु दशम स्थान में हो इसके बीच सारे ग्रह हो
जब मनुष्य की जन्मकुंडली में राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम स्थान में हो और सभी ग्रह इन
जब जन्मकुंडली में राहु लग्न में व केतु सप्तम में हो और उस बीच सारे ग्रह हों तो अनन्त कालसर्प
एक बार सुमेरु पर्वत पर बैठे हुए ब्रम्हाजी के पास जाकर देवताओं ने उनसे अविनाशी तत्व बताने का अनुरोध किया
लंकापति रावण को लोग अन्याय, अनीति, अनाचार, काम, क्रोध, लोभ, मोह, अधर्म और बुराई का प्रतीक मानते हैं और जिसके